- पढ़िए दो यंग आंत्रप्रेन्योर की कहानी जो मूल काम के बजाय कोरोना को मात देने कर रहे इनोवेशन
दैनिक भास्कर
Apr 25, 2020, 07:40 AM IST
रायपुर. कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में शहर के यंग आंत्रप्रेन्योर्स भी अपना योगदान दे रहे हैं। अपने मूल काम के बजाय दो आंत्रप्रेन्योर्स ने कोरोना को मात देने इनोवेटिव प्रोडक्ट बनाए हैं। अभिषेक अमबस्टा ने महज 15 रुपए में थ्री डी प्रिंटर मशीन की मदद से प्लास्टिक का मास्क तैयार किया है। इसे बनाने में उन्होंने सभी मानकों का ध्यान रखा है। वहीं, अनुराग अग्रवाल ने घर या फैक्ट्री को सैनिटाइज करने खास मशीन तैयार की है। पढ़िए यंग स्टार्टअप के इनोवेशन के बारे में।
साइलेंसर जैसे मॉडल की सैनिटाइजेशन मशीन: अनुराग ने बताया, हमने साइलेंसर के डिजाइन की तर्ज पर छोटे और बड़े एरिया को सैनिटाइज करने खास मशीन बनाई है। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक 0.5 पीपीएम में सैनिटाइजर को स्प्रे करना चाहिए, जिसका हमने पूरा ख्याल रखा है। दो साइज की फॉग मशीन बनाई है। छोटी मशीन गैस से चलती है और उसी के प्रेशर से घर को सैनिटाइज कर सकते हैं। वहीं बड़े साइज की मशीन से बड़ा एरिया या फैक्ट्री को सैनिटाइज किया जा सकता है। इसमें 16 लीटर का टैंक है। अनुराग मूलरूप से एग्रीकल्चर मशीन बनाती हैं।
कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से दिया मास्क का आकार
अभिषेक ने बताया, अभी भी कई मेडिकल स्टोर्स पर मास्क की कमी है। मास्क की कमी दूर करने थ्री डी प्रिंटर मशीन की मदद से मास्क तैयार किया। प्लास्टिक से बना ये मास्क नाक और मुंह को पूरी तरह कवर करता है। एक मास्क बनाने में लगभग 20 मिनट लगते हैं। सभी मानकों को ध्यान में रखकर मास्क बनाया है। इसके लिए कंप्यूटर में प्रोग्रामिंग के जरिए प्लास्टिक को मास्क का शेप दिया है। एक मास्क बनाने में महज 15 रुपए का खर्च आया है। हमने कुछ मास्क लोगों को इस्तेमाल करने दिए थे, जिसका अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। अब बड़ी मात्रा में मास्क बनाने के लिए भी तैयार हैं। अभिषेक मूलरूप से थ्री डी मशीन बनाने का काम करते हैं।