- हैपेटाइटस व एचआईवी पॉजिटिव प्रसूताओं के प्रसव सुरक्षित तरीके से कराने के बाद चर्चा में आईं जिला अस्पताल की डॉ. नेहा
दैनिक भास्कर
Jun 25, 2020, 04:28 AM IST
मुरैना. कोरोना काल में काम करने का जज्बा डॉक्टर्स के बीच देखा जा सकता है। संक्रमण के खतरों के बीच ड्यूटी करते हुए जिला अस्पताल की महिला डॉक्टर नेहा त्रिपाठी ने एक दिन में 12 घंटे की ड्यूटी के दौरान 7 सीजर प्रसव कराए हैं। इनमें दो प्रसव ऐसी महिलाओं के कराए गए जिनको उच्च रक्तचाप की शिकायत थी और उनकी हालत गंभीर थी। प्रसव के बाद मां व नवजात शिशु स्वस्थ हैं।
जिला अस्पताल की पीजीएमओ डाॅ. नेहा त्रिपाठी ने 12 घंटे की ड्यूटी के दौरान 7 सीजर प्रसव कराए हैं। इसे उपलब्धि के तौर पर इसलिए देखा जा रहा है क्योंकि इससे पहले जिला अस्पताल में किसी डॉक्टर ने एक दिन में छह प्रसव ही सीजर से किये गए हैं। 29 फरवरी को जिला अस्पताल के मेटरनिटी विभाग में ज्वाइन करने के बाद डाॅ. त्रिपाठी की सेवाएं सीजर ऑपरेशन के लिए ऑनकॉल ली जा रही हैं।
मंगलवार को सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक ड्यूटी के दौरान कैलारस से आईं प्रियंका पत्नी नरेन्द्र कुमार व सबलगढ़ से आई प्रसूता रानू पत्नी हेमंत को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत के कारण उनका सीजर प्रसव कराया गया। प्रियंका को रक्तचाप के कारण प्रसव पीड़ा नहीं हो रही थी। इसी प्रकार रानू का बच्चा भी ब्लड प्रेशर के कारण फंसा हुआ था। प्रियंका ने बेटे व रानू ने बेटी को जन्म दिया।
इसी प्रकार गोपी से आईं सोनम पत्नी श्याम के गर्भाशय में पानी की कमी के कारण गर्भस्थ शिशु के गले में नाड़े के अंटे लगे हुए थे। उस हाल में इस महिला का सीजर प्रसव कराया गया। पुरावशकलां की सीमा पत्नी आशीष कुमार 9 साल बाद गर्भवती होकर प्रसव की स्टेज पर आईं तो बच्चा बड़ा होने के कारण सामान्य प्रसव की स्थिति नहीं बन रही थी। उस हाल में ऑपरेशन कर जच्चा-बच्चा को सुरक्षित किया गया। सबलगढ़ की रजनी पत्नी संजय का भी सीजर किया।
हैपेटाइटिस व एचआईवी पीड़ित महिलाओं के कराए प्रसव
जिला अस्पताल की मेटरनिटी में डाॅ. नेहा त्रिपाठी ने इससे पहले हेपेटाइटिस बी व एचआईवी पॉजिटिव प्रसूता के सीजर ऑपरेशन किए। संसाधनों का बेहतर उपयाेग करते हुए उन्होंने 29 फरवरी से 23 जून तक 16 वैक्यूम डिलीवरी भी करायी है। वैक्यूम डिलीवरी उस समय कराने की स्थिति बनती है जब गर्भस्थ शिशु डिस्ट्रेस में हो और सामान्य प्रसव के लिए वह नीचे आने में धीरे-धीरे प्रोग्रेस कर रहा हो। जच्चा व बच्चा की जान बचाने के लिए वैक्यूम लगाया जाता है। उल्लेखनीय है कि डाॅ. त्रिपाठी अपने 11 महीने के बच्चे को घर पर छोड़कर कोरोना संक्रमण के बीच अपनी सेवाएं दे रही हैं।